Bangladesh: शेख हसीना के खिलाफ बांग्लादेशी ट्रिब्यूनल में सुनवाई आज, हो सकती है मौत की सजा

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बांग्लादेश का इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल (आइसीटी-बीडी) रविवार को अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के विरुद्ध आरोपों पर औपचारिक सुनवाई करेगा। सरकारी बीटीबी को इसका सजीव प्रसारण करने की अनुमति दी गई है। देश के इतिहास में ऐसा पहली बार होगा।

सुनवाई की फोटोग्राफी या प्रसारण की अनुमति नहीं
छात्रों के एक विशाल आंदोलन के बाद हसीना को पिछले वर्ष पांच अगस्त को अपदस्थ कर दिया गया था। उसके बाद उनके विरुद्ध बांग्लादेश की विभिन्न अदालतों में उनके विरुद्ध मुकदमे दायर किए गए हैं। लेकिन उनकी सुनवाई की फोटोग्राफी या प्रसारण की अनुमति नहीं दी गई थी।

हसीना को हो सकती है मौत की सजा
आइसीटी-बीडी के सजीव प्रसारण की अनुमति देने के फैसले से हसीना के मामले में यह परंपरा टूट सकती है। हसीना के विरुद्ध लगाए गए आरोपों के लिए उन्हें मौत की सजा हो सकती है।

बांग्लादेश के सरकारी मीडिया ने बताया, ‘अभियोजन पक्ष जुलाई-अगस्त, 2024 के जनविद्रोह के दौरान मानवता के विरुद्ध किए गए अपराधों से संबंधित मामले में रविवार को आइसीटी-बीडी में अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के विरुद्ध औपचारिक आरोप प्रस्तुत करेगा।’

हसीना के सहयोगियों के आरोपों पर भी होगी सुनवाई
आइसीटी-बीडी के मुख्य अभियोजक मोहम्मद तजुल इस्लाम ने बताया कि पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमन खान कमाल और पूर्व पुलिस प्रमुख अब्दुल्ला अल मामून के विरुद्ध आरोपों पर भी साथ ही सुनवाई होगी। दोनों जेल में हैं।

बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार 20 घरों में लूटपाट के बाद आग
बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार जारी है। जैसोर जिले के दहरामशियाहाटी गांव में हिंदू समुदाय के 20 घरों में लूटपाट के बाद उन्हें आग के हवाले कर दिया गया। पीड़ितों ने आग में अपना सब कुछ खो दिया।

घरों से नकदी और सोने के आभूषण लूट लिए गए और मारपीट की गई। हमले में 10 लोग घायल हुए हैं। इनमें महिलाएं भी शामिल हैं। हमला करने वालों ने मंदिर को भी निशाना बनाया है। वहीं, सुंदरली बाजार में दो दुकानों को आग लगा दी गई और अन्य चार को नुकसान पहुंचाया गया।

हिंदुओं के घरों को बनाया निशाना
दरअसल, 22 मई को जैसोर जिले के दहरामशियाहाटी गांव में हुए विवाद में स्थानीय बीएनपी नेता तारिकुल इस्लाम की हत्या कर दी गई थी। हत्या के बाद वहां रह रहे हिंदू समुदाय के घरों को निशाना बनाया गया। पीड़ितों का कहना है कि उन्हें बिना कारण के प्रताड़ित किया गया।

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